About Shodashi
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Inspiration and Empowerment: She's a image of energy and braveness for devotees, especially in the context in the divine feminine.
ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥
चक्रेशी च पुराम्बिका विजयते यत्र त्रिकोणे मुदा
सर्वानन्द-मयेन मध्य-विलसच्छ्री-विनदुनाऽलङ्कृतम् ।
पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।
तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणदात्रीम् ॥१०॥
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
Shodashi Goddess is probably the dasa Mahavidyas – the 10 goddesses of wisdom. Her name means that she may be the goddess who is usually 16 decades old. Origin of Goddess Shodashi occurs soon after Shiva burning Kamdev into ashes for disturbing his meditation.
The Shodashi Mantra is really a 28 letter Mantra and therefore, it has become the most basic and least complicated Mantras that you should recite, remember and chant.
कर्तुं मूकमनर्गल-स्रवदित-द्राक्षादि-वाग्-वैभवं
Called the goddess of knowledge, Shodashi guides her devotees toward clarity, Perception, and higher expertise. Chanting her mantra improves intuition, aiding people today make sensible conclusions click here and align with their inner fact. This benefit nurtures a life of integrity and goal.
कालहृल्लोहलोल्लोहकलानाशनकारिणीम् ॥२॥
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।